💨यह समस्त संथाल परगना में लागू होगा, जिसमें दुमका, साहिबगंज, गोड्डा, देवघर, पाकुड़,एवं जामताड़ा जिला हैं ।
💨इस अधिनियम के स्थानीय - विस्तार परिवर्तन के अधिकार और किसी क्षेत्र विशेष से अधिनियम की वापसी का प्रभाव, राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा संथाल परगना प्रमंडल के किसी भी भाग से इस अधिनियम या इस के किसी भाग को वापस ले सकती है,और उसी प्रकार इस अधिनियम या इसके भाग को उस क्षेत्र में लागू कर सकती है, जहां से यह वापस ले ली गई है।
💨धारा -3 रद्द- अनुसूची 'क' में वर्णित विधानी कारण इसके द्वारा उसके चतुर्थ स्तंभ में निर्दिष्ट सीमा तक रद्द की जाती है।
💨 कृषि वर्ष :-कृषि वर्ष का अर्थ है जहां बंगला साल चलता है, वहाँ प्रथम बैशाखा से प्रारंभ होने वाले वर्ष से है।
💨जहाँ फसली साल चलता है, प्रथम अश्विनी से प्रारंभ होने वाला वर्ष से है, जहां राज्य सरकार भूस्वामी है, वहाँ अप्रैल के पहले दिन से प्रारंभ हो रहा वर्ष कृषि वर्ष होगा।
💨 भुक्तबंध अथवा पूर्ण भोगबंधक :- भुक्तबंध अथवा पूर्ण भोगबंधक का अर्थ है ऋण रूप में दी गयी पहली राशि या दी जाने वाली राशि ।
💨 खास ग्राम:- खास ग्राम का अर्थ है, किसी ग्राम से है,जहाँ न तो मूल रैयत हो,न उस समय के लिए कोई ग्राम प्रधान हो,इस बात का विचार किये बिना की ग्राम में पहले मूल रैयत या ग्राम प्रधान था या नहीं।
💨 भू स्वामी:- भूस्वामी का अर्थ ग्राम प्रधान।💨 रैयत :- रैयत का अर्थ भूस्वामी से भिन्न किसी व्यक्ति से है जिसमें अपने या अपने पारिवारिक सदस्यों या भाड़े के मजदूरों के द्वारा जोतने के लिए भूधारण कराने का अधिकार प्राप्त है।
💨 संथाल सिविल रूल का अर्थ है संथाल परगना अधिनियम 1955 की धारा -1 खंड -2 के अधिनियम इत्यादि की परिभाषा दी गयी हैं।
💨किसी खास ग्राम के रैयत या भू स्वामी के आवेदन पत्र पर, स्थानीय रीति के आधार पर दो तिहाई रैयतों की रजामंदी से उपायुक्त, उस गांव में ग्राम प्रधान की नियुक्ति करेगा।
💨किसी ग्राम का खास (जो ना तो मूल रैयत हो, न ही उस समय के लिए कोई ग्राम प्रधान हो )नहीं है।
💨ग्राम प्रधान मर जाए तभी ग्राम का भूस्वामी इस घटना के 3 महीने के अंदर ग्राम प्रधान की नियुक्ति के लिए उपायुक्त को प्रतिवेदन देगा।
💨 ग्राम प्रधान की नियुक्ति होने पर ग्राम प्रधान को कबूलियत (स्वीकृति पत्र जो खेत का पट्टा लेने वाला व्यक्ति लिखकर उस व्यक्ति को देता है जिससे वह खेत का पट्टा) लिखता है वह अपने पद के कार्य संपादन में राज्य सरकार द्वारा बनाए नियमों से शासित करेगा।
💨भूस्वामी का कर्त्तव्य बनता है, नये नियुक्त ग्राम प्रधान को ग्राम की जमाबंदी एवं अभिलेख अधिकार यानि खेत खतियान की प्रतियाँ उपलब्ध करायेगा।
💨धारा 10 के तहत कोई बंजर भूमि जो मूल रैयत या सहरैयत द्वारा जोत लायक बनाई गई हो या कोई (खाली) परती भूमि जो मूल रैयत या सहरैयत के अधिकार में पाया जाए।
💨 इस अधिनियम में मूल रैयत या सह रैयत की अपरिवर्तनीय रैयती जोत समझा जाएगी।💨 धारा 11 के अनुसार ग्राम प्रधान मूल रैयतों में लगाए गए तथा उनसे वसूले गए सभी जुर्माने, प्रधानों की पुरस्कार निधि में जमा किए जाएंगे।